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लेखनी कहानी -19-Oct-2023

भारत की एक विशेषता है कि यहां के लोग जो भी काम करते हैं, पूरे मनोयोग से करते हैं । वह चाहे खाना हो या गाना । नृत्य हो या कृत्य । प्यार हो या लड़ाई । हर काम पूर्णता के साथ करने की आदत पड़ गई है हमारी । तभी तो विश्व में हमारे लोग नित नये झंडे गाड़ रहे हैं ।  भारतीयों का तो आलम यह है कि लड़ाई भी वो ऐसी वैसी नहीं करते , कुर्ता फाड़ लड़ाई करते हैं । जब तक दोनों लड़ाके एक दूसरे का कुर्ता नहीं फाड़ देते, उन्हें चैन नहीं आता है । यही तो हमारी खासियत है ।  एक चौराहे पर हम और हमारे "घुटन्ना मित्र" हंसमुख लाल जी ऐसी ही कुर्ता फाड़ लड़ाई का भरपूर आनंद ले रहे थे कि अचानक हंसमुख लाल जी ने हमसे पूछ लिया  "भाईसाहब, ये लड़ाई में बेचारा कुर्ता क्यों फाड़ा जाता है ? उसका क्या दोष है" ? हंसमुख लाल जी के चेहरे की मासूमियत देखने लायक थी । उन्हें बेचारे कुर्ते के तार तार हो जाने का बड़ा अफसोस हो रहा था । "जहां देखो वहां हर कोई कुर्ता फाड़ने पर उतारू है , क्यों" ?

हंसमुख लाल जी और हम बचपन के वैसे ही मित्र हैं जैसे अर्जुन और श्रीकृष्ण । उनमें मित्रता कम और भक्तिभाव अधिक है इसलिए उनके प्रश्नों का जवाब देने की हमारी जिम्मेदारी और भी अधिक हो जाती है । जिस तरह भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था उसी तरह हंसमुख लाल जी को "जिन्दगी का ज्ञान" देना आवश्यक था नहीं तो वे भी अज्ञान रूपी अंधकार में न जाने कब तक भटकते रहते । हमारे रहते हमारे मित्र को कोई कष्ट हो तो फिर हमारे होने को धिक्कार है । सो हमने कहा  "कुछ लोग तो पैदाइशी नंगे होते हैं और कुछ लोग दूसरे लोगों को देख देखकर नंगे हो जाते हैं । कुछ को "नंगई" सबसे बड़ा आभूषण लगता है इसलिए उसे धारण करके ऐसे सुशोभित होते हैं जैसेकोई मणी धारण करके "नाग" सुशोभित होता है ।  ऐसे नंगे लोग औरों के बदन पर वस्त्र देखकर चिढ़ जाते हैं और झट से शरीफ आदमियों का कुर्ता फाड़ने लग जाते हैं । ऐसे "नंगे" लोग स्वामी विवेकानंद के बड़े भक्त होते हैं । आपको तो पता होगा ही कि स्वामी विवेकानंद ने एक नारा दिया था "उठो, जागो और लक्ष्य प्राप्ति करने तक मत रुको" । ऐसे नंगे लोग भी यही करते हैं । जब तक सामने वाले का कुर्ता पूरी तरह से फाड़ नहीं डालते, तब तक नहीं रुकते हैं ।

ऐसी कुर्ता फाड़ लड़ाई चुनावों के समय में और तेज हो जाती है । हर गली मौहल्ले और चौराहों पर ऐसी कुर्ता फाड़ लड़ाई के नजारे देखना तो आम बात है । वैसे एक बात तो है , चुनावों के समय फ्री का मनोरंजन भरपूर देखने को मिलता है । टिकिट देने वाले और टिकिट लेने वाले दोनों लड़ रहे हैं । देने वाले ने टिकिट X सीट का दिया मगर लेने वाला Y सीट का टिकिट चाहता है इसलिए दोनों भिड़ जाते हैं और एक दूसरे का कुर्ता फाड़ देते हैं । टिकिट लेने वाले भी आपस में ही एक दूसरे का टिकिट कटवाने, काटने के कारण कुर्ता फाड़ना शुरू कर देते हैं । उनके आंसू तब और भी ज्यादा बहने लगते हैं जब उनकी बरसों की सेवा को भुलाकर दूसरी पार्टी से आये नेता को टिकिट मिल जाता है और वे टापते ही रह जाते हैं । तब वह नेता अपना कुर्ता ही नहीं पाजामा भी फाड़ लेता है और उसकी तथा उसकी पार्टी की "नंगई" दुनिया के सामने आ जाती है ।

जब से राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, तेलंगाना और मिजोरम के चुनाव घोषित हुए हैं तब से लगभग सभी पार्टियों में इन राज्यों में कुर्ता फाड़ लड़ाई चल रही है । मध्य प्रदेश में में कभी तीन गुट होते थे । एक सिंधिया का, दूसरा दिग्विजय सिंह और तीसरा कमलनाथ का गुट । जब से सिंधिया भाजपा में चले गये हैं तब से केवल दो गुट रह गये हैं । पहला वाला तो स्त्रियों को "टंच माल" कहकर बुलाता था । दिग्विजय सिंह "टंच माल" के कितने बढिया पारखी हैं कि बस एक बार किसी को देख लेने से ही वह यह बता देते हैं कि "माल" "टंच" है या नहीं ? ये वही दिग्विजय सिंह हैं जिन्होंने षड्यंत्र पूर्वक 26/11 हमले को "भगवा आतंकवाद" घोषित करने की पूरी तैयारी कर ली थी और इस पर एक किताब भी लिखवा ली थी । परन्तु सिपाही तुकाराम ओंबले ने अजमल कसाब को जिंदा पकड़कर दिग्विजय सिंह के सारे षड्यंत्र का भांडा फोड़ दिया था । चूंकि तुकाराम भारत का हीरो बन गया था इसलिए मजबूरन तुकाराम को "शहीद" घोषित करना पड़ा ।

कमलनाथ तो धन दौलत , सौन्दर्य सबके पुजारी हैं । 1984 के सिखों के नरसंहार में भी उनका नाम आता है । पर जब तक "मालकिन" का हाथ उनके ऊपर है तब तक उनका बाल भी बांका नहीं हो सकता है । वैसे भी नमक का हक अदा करने की रस्म गजब की है इस देश में । जिन्होंने देश के मालिक और मालकिन का नमक खाया है वे सभी नमक का कर्ज अदा करते रहते हैं, चाहे वे कहीं पर भी बैठे हों । "स्वामीभक्ति" का पाठ बहुत अच्छे से पढा है इस देश के लोगों ने ।

अब ये दोनों नेता तो बूढे हो गये इसलिए ये दोनों अपने अपने पुत्रों को "सैट" करने में लग गये हैं । इसीलिए अपने अपने लोगों को अधिक से अधिक टिकिट बांट रहे हैं । जिन लोगों को टिकिट नहीं मिल रहा है उन्हें खुलेआम कह रहे हैं कि जाओ और सामने वाले का कुर्ता फाड़ दो । आदेश मिलते ही चापलूसों की फौज टूट पड़ती है सामने वाले का कुर्ता फाड़ने । दोनों गुटों के लोग एक दूसरे का जमकर कुर्ता फाड़ रहे हैं । दोनों के कुर्ते पूरे फट चुके हैं और दोनों नेता ऊपर से नीचे तक नंगे नजर भी आ रहे हैं फिर भी दोनों में जंग अभी जारी है । सच में इनकी "खाल" गेंडे से भी मोटी होती है ।

छत्तीसगढ में सिंहदेव और भूपेश बघेल में तथा राजस्थान में गहलोत और पायलट में यह कुर्ता फाड़ प्रतियोगिता बरसों से चली आ रही है । इससे किसी को फायदा हुआ हो या नहीं, मालूम नहीं मगर इससे दरजियों की पौ बारह हो रही है ।

भाजपा के लोग भी इस कुर्ता फाड़ प्रतियोगिता में पीछे नहीं हैं । पर भाजपा में एक समस्या पैदा हो गई बताई । राजस्थान में एक महारानी जी हैं जो अब तक पार्टी में यहां पर सर्वेसर्वा थीं । पूरी पार्टी उसके सम्मुख नतमस्तक थी मगर अब पार्टी ने उसे दूध में गिरी मक्खी की तरह बाहर निकाल कर फेंक दिया है । यद्यपि उसने अभी तक किसी का भी कुर्ता नहीं फाड़ा है मगर वह कब तक नहीं फाडेंगी, इसका पता खुद उन्हें भी नहीं लग रहा है । महारानी के विरोधी इसलिए भी परेशान हैं कि वे कुर्ता पहनती ही नहीं हैं अत: फाड़ें तो क्या फाड़ें ? कभी कभी साड़ी से इज्ज़त बच जाती है । है ना ?

आजकल एक बंगालन छमिया भाभी भी बहुत छाती पीट रही हैं । इन्होंने संसद में और मीडिया में न जाने कितनों के कुर्ते फाड़ डाले या फाड़ने के प्रयास किये । मगर जब लोग इनके कुर्ते मतलब इनकी साड़ी फाड़ने लगे तो ये मोहतरमा "विक्टिम" कार्ड खेलने लगीं और सबको न्यायालय की धमकी देने लगीं । इससे बड़ा दोगलापन देखा नहीं था आज तक । एक कहावत है कि जो औरों के लिए गड्ढे खोदता है एक न एक दिन कोई उसके लिए भी गड्ढे खोद ही देता है । अब इन मोहतरमा की कलई भी खुल रही है कि किस किस से पैसा लेकर कौन कौन सा सवाल पूछा था इन्होंने । लोग इनका कुर्ता फटते देखकर बड़ा आनंद मना रहे हैं । इसलिए एक कहावत है कि सबका नंबर आता है ।  जो लोग कुर्ता फाड़ने में एक्सपर्ट हैं , एक न एक दिन उनके भी कुर्ते कोई न कोई फाड़ ही डालता है । पर एक बात तो है , ये ससुरी कुर्ता फाड़ लड़ाई देखने में आनंद बहुत आता है । वह चाहे चौराहों पर हो, सोशल मीडिया पर हो या डिबेट्स में हो । फ्री का भरपूर आनंद मिलता है इन कुर्ता फाड़ लड़ाइयों में । आशा है कि आपने भी इस रचना के माध्यम से भरपूर आनंद लिया होगा ।

हरिशंकर गोयल "श्री हरि"  19.10.23

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4 Comments

Mohammed urooj khan

21-Oct-2023 12:00 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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RISHITA

20-Oct-2023 10:47 AM

Amazing

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Saroj Verma

19-Oct-2023 05:34 PM

😄😄😄😄जोरदार👌👌🙏🙏

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